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Image - Google |
Baba Harbhajan Singh an Indian Army Soilder
क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु पश्चात् भी कोई सैनिक अपनी ड्यूटी कर सकता है ! क्या किसी मृत सैनिक की आत्मा अपने देश की रक्षा करते हुए अपना फ़र्ज़ निभा सकती है ! क्या यह वाकई मुमकिन है ?
परन्तु सिक्किम के लोगो और वहा पर तैनात आर्मी से यदि आप पूछेंगे तो वो कहेंगे की जी हाँ यहाँ ऐसा पिछले 45 सालों से हो रहा है |
उन सबका मानना है कि पंजाब रेजिमेंट के जवान बाबा हरभजन की आत्मा पिछले 45 सालों से देश की सीमा पर तैनात है और देश की रक्षा कर रही है |
उन सबका मानना है कि पंजाब रेजिमेंट के जवान बाबा हरभजन की आत्मा पिछले 45 सालों से देश की सीमा पर तैनात है और देश की रक्षा कर रही है |
यहाँ के भारतीय सैनिको का मानना है कि चीन की तरफ से होने वाले खतरे के बारे में बाबा हरभजन उन्हें पहले से इसके बारे में जानकारी दे देते है |
और ऐसा ही चीन के सैनिको का भी मानना है ,की भारत की और से होने वाले किसी भी खतरे के बारे में उन्हें बाबा हरभजन के द्वारा पहले से जानकारी प्राप्त हो जाती है |
ऐसा इसलिए क्योकि बाबा हरभजन नहीं चाहते की सीमा पर किसी प्रकार का तनाव बने |और बात को मिलजुल कर सुलझा लिया जाए |
और ऐसा ही चीन के सैनिको का भी मानना है ,की भारत की और से होने वाले किसी भी खतरे के बारे में उन्हें बाबा हरभजन के द्वारा पहले से जानकारी प्राप्त हो जाती है |
ऐसा इसलिए क्योकि बाबा हरभजन नहीं चाहते की सीमा पर किसी प्रकार का तनाव बने |और बात को मिलजुल कर सुलझा लिया जाए |
आप चाहे यकीन करें या न करें लेकिन चीन के सैनिक खुद इस बात पर विश्वास करते है , इसीलिए भारत चीन के बिच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में उनके लिए एक खाली कुर्सी बाबा हरभजन के नाम की राखी जाती है , ताकि वो भी मीटिंग अटेंड कर सके |
कौन है हरभजन सिंह :- हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को , जिला - गुजरावाला (जो की अभी पाकिस्तान में है ) में हुआ था | हरभजन सिंह पंजाब की 24वी रेजिमेंट के जवान थे |
सन 1966 में वे आर्मी (भारत ) में शामिल हुए थे ,किन्तु दो वर्ष बाद ही 1968 में वे सिक्किम में एक हादसे का शिकार हो गये |
हुवा यूँ था की जब वे एक खच्चर पर बैठकर नदी पर कर रहे थे तब खच्चर सही वे नदी में जा गिरे और उनका शव नदी में कही आगे निकल चूका था |
सन 1966 में वे आर्मी (भारत ) में शामिल हुए थे ,किन्तु दो वर्ष बाद ही 1968 में वे सिक्किम में एक हादसे का शिकार हो गये |
हुवा यूँ था की जब वे एक खच्चर पर बैठकर नदी पर कर रहे थे तब खच्चर सही वे नदी में जा गिरे और उनका शव नदी में कही आगे निकल चूका था |
जब दो दिनों तक भी शव नहीं मिला तब उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शव की लोकेशन बताई |
अगले दिन जब वे लोग बताई गई जगह पर शव को ढूंढने गये तो सपने में बताई गई जगह से ही शव बरामद हुआ और इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया |
अगले दिन जब वे लोग बताई गई जगह पर शव को ढूंढने गये तो सपने में बताई गई जगह से ही शव बरामद हुआ और इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया |
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हालांकि बाद में जब हरभजन सिंह के चमत्कार और बढ़ने लगे तो वे विशाल जनसमूह की आस्था का केंद्र बन गये.
और इसके बाद एक और भव्य मंदिर का निर्माण किया गया जिसको "बाबा हरभजन मंदिर" के नाम से जाना जाता है |
बाबा हरभजन का यह मंदिर गंगटोक में जेलेप्ला और नाथुला दर्रे के बिच में 13000 फीट की ऊंचाई पर आज भी स्थित है ,जबकि इससे पहले वाला मंदिर इस नए मंदिर से भी 1000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है |
मंदिर के अन्दर बाबा हरभजन का सारा सामान और उनकी फोटो राखी गई है |
मंदिर के अन्दर बाबा हरभजन का सारा सामान और उनकी फोटो राखी गई है |
आज भी बाबा हरभजनदेते है बार्डर पर ड्यूटी
बाबा हरभजन सिंह उनकी मृत्यु के बाद से अब तक लगातार सीमा पर ड्यूटी कर रहे है |इसके लिए बाकायदा उनके तनख्वाह भी मिलती है | उनकी सेना में एक रेंक भी है और बाकायदा उनका प्रमोशन भी किया जाता है | यहाँ तक की कुछ साल पहले तक 2 महीनो की छुट्टी पर भी भेजा जाता था |
इसके लिए ट्रेन में उनके लिए सीट भी रिज़र्व की जाती थी और तीन सैनिको के साथ उनका सामान गाव भेजा जाता था और छुट्टिया ख़त्म होने पर वापस उन्हें लेने जाते थे |
जब बाबा 2 महीनो तक छुट्टी पर रहते थे तब बॉर्डर पर पूरी सेना हाई अलर्ट पर रहती थी क्योकि उस समय सेना को बाबा की मदद नहीं मिलती थी |
इस प्रकार लोगो की आस्था बाबा में बढती ही गई और जब उनके घर लाया -ले जाया जाता था तब बड़ी संक्या में भीड़ जुटने लगी |
लेकिन कुछ लोगो को यह बात अन्धविश्वास को बढ़ावा देने जैसी लगी तो उन लोगो ने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया क्योकि इस तरह के अंध विश्वास की सेना में मनाही होती है |
इस प्रकार लोगो की आस्था बाबा में बढती ही गई और जब उनके घर लाया -ले जाया जाता था तब बड़ी संक्या में भीड़ जुटने लगी |
लेकिन कुछ लोगो को यह बात अन्धविश्वास को बढ़ावा देने जैसी लगी तो उन लोगो ने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया क्योकि इस तरह के अंध विश्वास की सेना में मनाही होती है |
परिणाम स्वरुप सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया | अब बाबा सीमा पर साल के बारह महीने Duty पर रहते है |
मंदिर में बाबा के लिए एक कमरा भी है जिसमे रोजाना साफ़ सफाई करके उनके लिए बिस्तर लगे जाते है |
तथा उनकी वर्दी और जूते रखे जाते है | कहा जाता है कि सफाई के दौरान रोजाना उनके बिस्तर में सलवटे और जूतों में कीचड़ पाया जाता है |
मंदिर में बाबा के लिए एक कमरा भी है जिसमे रोजाना साफ़ सफाई करके उनके लिए बिस्तर लगे जाते है |
तथा उनकी वर्दी और जूते रखे जाते है | कहा जाता है कि सफाई के दौरान रोजाना उनके बिस्तर में सलवटे और जूतों में कीचड़ पाया जाता है |
लोगो की आस्था का केंद्र है यह मंदिर
बाबा
हरभजन का यह मंदिर लोगो और सैनिको की आस्था का मंदिर बना हुआ है | आज भी
जब नया सैनिक इस इलाके में आटा है तो सबसे पहले इस मंदिर पर बाबा के दर्शन
करके व उनका आशीर्वाद लेने जाता है |
कहा जाता है की इस मंदिर में यदि कोई पानी की बोतल भर कर तीन दिनों तक रख दे तो उस पानी में चमत्कारी औषधीय गुण आ जाते है जिसे पीने से लोगो के सारे रोग दूर हो जाते है |
कहा जाता है की इस मंदिर में यदि कोई पानी की बोतल भर कर तीन दिनों तक रख दे तो उस पानी में चमत्कारी औषधीय गुण आ जाते है जिसे पीने से लोगो के सारे रोग दूर हो जाते है |
बोतल के उस पानी को 21 दिन के भीतर रोजाना पीकर ख़त्म कर दिया जाता है | इस दौरान किसी प्रकार के कोई नशे या शराब का सेवन निषेध रहता है |
इसीलिए इस मंदिर में लोगो के नाम लिखी हुई बोतलो का हुजूम लगा हुआ होता है | काफी लोग यहाँ पर पानी की बोतले भर कर लाते है और फिर वापस ले जाते है |
इसीलिए इस मंदिर में लोगो के नाम लिखी हुई बोतलो का हुजूम लगा हुआ होता है | काफी लोग यहाँ पर पानी की बोतले भर कर लाते है और फिर वापस ले जाते है |
बाबा का बंकरजो कि नए मंदिर से 1000 फीट की ऊंचाई पर है , लाल और पीले रंगों से सजा हुआ है |
सीडिया लाल रंग से और पिलर पीले रंग से रेंज हुए है |ऊपर से निचे तक सीढियों के दोनों और रेलिंग है और रेलिंग के दोनों और घंटिया बंधी हुई है |
बाबा के इस बनकर में ढेर सारी कापियां राखी हुई है, लोग इन कापियों में अपनी मुरादें लिखते है | लोगो का मानना है कि इन कापियों में अपनी मुरादे लिखने से वे पूरी होती है |
सीडिया लाल रंग से और पिलर पीले रंग से रेंज हुए है |ऊपर से निचे तक सीढियों के दोनों और रेलिंग है और रेलिंग के दोनों और घंटिया बंधी हुई है |
बाबा के इस बनकर में ढेर सारी कापियां राखी हुई है, लोग इन कापियों में अपनी मुरादें लिखते है | लोगो का मानना है कि इन कापियों में अपनी मुरादे लिखने से वे पूरी होती है |
इस बंकर में एक जगह ऐसी भी है जहा लोग सिक्का गिराते है | मन जाता है कि यदि वह सिक्का उन्हें वापस मिल जाता है तो वे बहुत भाग्यशाली माने जाते है.
और वह सिक्का हमेशा के लिए उनके पर्स या तिजोरी में रखने की सलाह दी जाती है | इन दोनों मंदिरों का सम्पूर्ण संचालन आर्मी के द्वारा ही किया जाता है |
और वह सिक्का हमेशा के लिए उनके पर्स या तिजोरी में रखने की सलाह दी जाती है | इन दोनों मंदिरों का सम्पूर्ण संचालन आर्मी के द्वारा ही किया जाता है |
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