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भारत देश में दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन घर परिवार के "सभी लोग आपस में मिलकर" ढेर सारी खाने पीने की चीज़े बनाते है , "सभी लोग आपस में मिलकर " माँ लक्ष्मी जी की आरती करते है व खुशिया मनाते है | आप सोच रहे होंगे की यहाँ पर "सभी लोग आपस में मिलकर" इस लाइन का उल्लेख पर जोर क्यों दिया गया है |
सोचिए क्या आप इनमे से कोई भी काम अकेले अकेले ही करके खुश हो सकते है या आनंद प्राप्त कर सकते है ? नहीं ना !
यही तो है हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता | दुर्भाग्य से हमारे यह छोटे छोटे परिवारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है | हमारे आसपास अब ऐसे गिने चुने परिवार ही बचे होंगे जिनमे दादा-दादी , ताऊ-ताई , काका-काकी, माता-पिता और उनके बाल गोपाल यानी की भाई बहनों की एक धमाल फ़ौज भी हो |
इसी सम्बन्ध में एक प्रेरणादायक घटना याद आ रही है -
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि कुछ वर्षो पहले इंग्लैंड की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर भारत के प्रवास पर आई थी | भारत सरकार ने उनके भ्रमण के लिए कई सरे स्थान तय कर रखे थे , किन्तु श्रीमती थैचर ने उनके समय का सदुपयोग करने के लिए भारत सरकार से यह आग्रह किया कि मुझे एक बड़े संयुक्त परिवार में भेजने की व्यवस्था करें मैं उनके साथ अपना पूरा समय बिताना चाहती हूँ |
भारत सरकार ने ठीक वैसी ही उनके लिए व्यवस्था की जैसा वह चाहती थी और जैसा कि मैंने ऊपर उल्लेख किया है वैसे ही एक बड़े परिवार में वे रही | और तो और सबसे आनंद की बात तो यह है कि उन्होंने अपने देश लौटकर राष्ट्र के नाम यह सन्देश दिया कि
"यदि हमारे देश को प्रगति की रह पर लेजाना है तो भारत के संयुक्त परिवारों को अपना आदर्श बनाएं , हमारी आर्थिक व सामाजिक उन्नति का यही एक अच्छा तरीका या रास्ता हो सकता है |"
तो दोस्तों यही है हमारी भारतीय संस्कृति जो किसी के परिचय की मोहताज नहीं |
शिक्षा - यदि हमने इसबार भी दीपावली जैसा पवित्र त्यौहार अकेले अकेले मना लिया तो लक्ष्मी जी न तो परिवार पर प्रसन्न होगी और न ही देश पर , तो चलिए हम सब एक साथ मिलकर दीपावली जैसा राष्ट्रीय , सांस्कृतिक और एकजुटता का सन्देश देने वाला त्यौहार हंसी ख़ुशी मिलकर मनाएं |
लेखक - लोकेन्द्र शर्मा , आरडी , मंदसौर (मध्य प्रदेश )