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ज्योति अपने बच्चों को एक अच्छी ज़िन्दगी देना चाहती थी | उन्होंने एक एडल्ट एजुकेशन टीचर के रूप में एक स्कुल में पढ़ाना प्रारंभ किया जहा उन्हें 120 रूपये मासिक आमदनी होती थी | ज्योति का कहना था की वो 120 रूपये उस समय मेरे लिए काफी थे जिससे की वो अपने बच्चों के लिए दूध और फल खरीद सके |
इसके बाद उन्होंने नेशनल सर्विस वालंटियर के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया जहा उन्हें 200 रूपये मासिक आमदनी होने लगी | परिवार के विरोध के बाद भी ज्योति गाव से बहार चली गई और उन्होंने एक टाइपिंग इंस्टिट्यूट में प्रवेश लिया जहा उन्होंने क्राफ्ट का कोर्स किया | अब पेतीकोअत सिलकर ज्योति रोज 20-25 रूपये अलग से कमाने लगी थी | वहां उनको लैब्ररियन के रूप में भी नौकरी मिल गई | इसके बाद उन्होंने एक ओपन स्कूल ज्वाइन कर वहा से अपनी आगे की पढ़ाई शुरू की |
1992 में वारंगल से 70 किलोमीटर दूर एक स्पेशल टीचर की नौकरी मिली | लेकिन इतनी दूर आने जाने में उनको बहुत ज्यादा खर्चा होता था | इसका भी उपाय ज्योति ने धुंध निकाला | इसके लिए उन्होंने ट्रेन में ही साड़िया बेचनी शुरू कर दी | 1994 में उन्हें लगभग 2700 रूपये महीने की एक स्थाई जॉब मिल गई |
धीरे धीरे आगे बढ़ने वाली ज्योति जब युएस में रहने वाली अपनी चचेरी बहिन से मिली तो वो उसकी लाइफ स्टाइल से काफी प्रभावित हुई | इसके बाद ज्योति ने कोई सॉफ्टवेर कोर्स करने का फैसला किया और सन 2000 में वो US पहुच गई | वहां उन्हें 12 घंटे में $60 वाली एक जॉब मिली | इसके बाद वहां उन्हें Software Recruiter की नौकरी का ऑफर आया किन्तु अंग्रेजी अच्छी नहीं होने के कारण वे वह जॉब नहीं कर सकी |
आज ज्योति एक सॉफ्टवेर सलूशन कंपनी की CEO है | यह $15 मिलियन की आईटी कम्पनी है |
इतने बड़े सफलता के मुकाम पर पहुचने के बाद भी ज्योति अपने पुराने दिनों को भूली नहीं है वह आज भी अपने पुराने दिनों को यद् करती है और अनाथालय में रहने वाले बच्चों के लिए काम करना चाहती है | और कई तरह की चैरिटी में भी हिस्सा लेती रहती है |